1 साल में 592 सोलर प्लांट! राजस्थान बना सोलर पावर का सिरमौर, किसान कर रहे है बिजली की खेती 

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | July 20, 2025

राजस्थान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर नेतृत्व मजबूत हो और नीतियां धरातल पर उतारी जाएं तो कोई भी राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान में सौर ऊर्जा को लेकर जो क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं, उन्होंने पूरे देश का ध्यान खींचा है। खास बात यह है कि इस बार बड़े उद्योगपतियों ने नहीं, बल्कि राज्य के किसान खुद सौर प्लांट लगाकर बिजली की खेती शुरू कर चुके हैं। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानी कुसुम योजना ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत राज्य में अब तक 1305 मेगावाट क्षमता के 684 विकेन्द्रित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से 592 संयंत्र केवल पिछले एक साल में ही लगाए गए हैं।

Rajasthan Leads in Solar Power

किसानों की जमीन से उग रही है बिजली

राजस्थान के किसान अब अपनी अनुपजाऊ जमीन पर सौर प्लांट लगाकर बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। ये प्लांट अधिकतम 2 मेगावाट से लेकर 5 मेगावाट क्षमता तक के हैं और इन्हें ग्रिड से जोड़ा गया है। योजना के तहत कंपोनेंट-ए और कंपोनेंट-सी में अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं जिनमें किसानों को सब्सिडी के रूप में प्रति मेगावाट 1.05 करोड़ रुपये तक की सहायता मिल रही है। पहले जो जमीन बेकार पड़ी रहती थी, अब वहां से किसान हर महीने स्थायी आय प्राप्त कर रहे हैं। ये न सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा पहुँचा रहा है क्योंकि यह पूरी तरह से प्रदूषण रहित ऊर्जा है।

डिस्कॉम्स को मिल रही सस्ती और साफ बिजली

राजस्थान की तीनों डिस्कॉम कंपनियों – जयपुर, जोधपुर और अजमेर को इन सौर प्लांट्स से ₹2.09 से ₹3 प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली मिल रही है। थर्मल प्लांट्स से मिलने वाली महंगी बिजली की तुलना में यह काफी सस्ती है। इससे एक ओर जहां किसानों को फायदा हो रहा है, वहीं राज्य सरकार की बिजली कंपनियों को भी राहत मिल रही है, जो पहले भारी घाटे में चल रही थीं। करीब 90 हजार करोड़ रुपये के घाटे से जूझ रही डिस्कॉम्स के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है। इसके अलावा, चूंकि बिजली का उपयोग उसी क्षेत्र में होता है जहां उत्पादन हो रहा है, इसलिए ट्रांसमिशन लागत भी बच रही है और डिस्ट्रिब्यूशन लॉसेज भी बेहद कम हो गए हैं।

पूरे देश में सबसे आगे निकला राजस्थान

राजस्थान अब कुसुम योजना के कंपोनेंट-ए में पूरे देश में पहले स्थान पर है। यहां अकेले 457 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। कंपोनेंट-सी में भी राज्य गुजरात और महाराष्ट्र के बाद तीसरे नंबर पर है। दिसंबर 2023 से पहले पूरे राज्य में केवल 123 मेगावाट की क्षमता के संयंत्र स्थापित हो पाए थे, जबकि नई सरकार बनने के बाद सिर्फ एक साल में 1000 मेगावाट से ज्यादा की क्षमता के प्लांट लग चुके हैं। यह सब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की निर्णायक नेतृत्व शैली, त्वरित फैसलों और योजनाओं की प्राथमिकता में शामिल करने का ही परिणाम है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राजस्थान को भविष्य के लिए 5,500 मेगावाट क्षमता और 4 लाख सोलर पंपों का लक्ष्य भी दे दिया है।

बिजली की खेती से आत्मनिर्भर बनता किसान

यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। अब तक करीब 1 लाख किसानों को दिन के समय बिजली की सुविधा मिलने लगी है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक सभी किसानों को दिन में बिजली दी जा सके और कुसुम योजना इसकी नींव रख रही है। इस योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने अनेक प्रशासनिक सुधार किए हैं – जैसे कि कुसुम अधीक्षण अभियंता की नियुक्ति, एसओपी जारी करना, ट्रांसफार्मर और ट्रांसमिशन से जुड़े मामलों में तेजी लाना और ऋण प्रक्रिया को सरल बनाना। इन सभी प्रयासों का नतीजा यह है कि आज राजस्थान देश का सोलर पावर हब बनकर उभर रहा है और किसान अब केवल अन्न नहीं, ऊर्जा भी उगा रहे हैं।

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