इस राज्य में 296KM लंबे सोलर एक्सप्रेसवे से बनेगी रिकॉर्ड तोड़ बिजली! रोशन होंगे 1 लाख घर, सालाना ₹6 करोड़ का फायदा!

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | June 15, 2025

Solar Expressway In UP: उत्तर प्रदेश अब देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जहां एक्सप्रेसवे न सिर्फ सफर को आसान बनाएगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन में भी अहम भूमिका निभाएगा। हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की, जिसे अब सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित किया जा रहा है। 296 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिनसे 550 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। यह बिजली लगभग 1 लाख घरों को रोशन करने में सक्षम होगी। यूपीडा (UPEIDA) इस परियोजना को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर लागू कर रही है। इस प्रोजेक्ट से ना केवल हर साल 6 करोड़ रुपये की ऊर्जा बचत होगी, बल्कि देशभर में सोलर तकनीक को एक नई दिशा भी मिलेगी।

Solar expressway update in UP

यूपी का पहला ‘सोलर एक्सप्रेसवे’ बनने की राह पर बुंदेलखंड

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा से होकर गुजरता है। इस पूरे मार्ग के दोनों तरफ 15 से 20 मीटर चौड़ी खाली पट्टी है, जहां सोलर पैनल स्थापित किए जाएंगे। इन पैनलों से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा, जो न केवल बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगा। राज्य सरकार ने इस एक्सप्रेसवे को सोलर हब में बदलने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि इस क्षेत्र में साफ और शुष्क मौसम के कारण सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। यहां सालाना 800 से 900 मिलीमीटर औसत वर्षा होती है, जिससे पैनलों पर धूल-मिट्टी का प्रभाव कम पड़ता है।

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर कदम

यूपीडा ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने का भी निर्णय लिया है। एक कॉरिडोर जालौन में और दूसरा बांदा में स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए 3500 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। ये कॉरिडोर पहले से प्रस्तावित डिफेंस कॉरिडोर से अलग होंगे। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्रीय विकास को नई गति मिलेगी। इतना ही नहीं, एक्सप्रेसवे के किनारे भूमि आसानी से उपलब्ध है, जिससे परियोजना के क्रियान्वयन में कोई बड़ी बाधा नहीं आएगी। अभी तक 8 सोलर पावर डेवलपर्स अपना प्रेजेंटेशन जमा कर चुके हैं और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है।

सबसे तेज़ी से बनकर तैयार हुआ एक्सप्रेसवे

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की एक और खास बात यह है कि यह केवल 28 महीनों में बनकर तैयार हुआ है। इसके निर्माण पर करीब ₹14,850 करोड़ की लागत आई है। यह एक्सप्रेसवे चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव से शुरू होकर इटावा के कुदरैल गांव तक फैला है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। इस मार्ग पर 18 ओवरब्रिज, 14 बड़े पुल, 266 छोटे पुल, 6 टोल प्लाजा, 7 रैंप प्लाजा और 4 रेलवे ओवरब्रिज बनाए गए हैं। इस एक्सप्रेसवे को भविष्य में 6 लेन तक भी विस्तारित किया जा सकता है। सुरक्षा और आपातकालीन सुविधाओं के लिए यहां 24 घंटे पुलिस पेट्रोलिंग और एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध है।

सोलर प्लांट से सालाना करोड़ों की बचत और हरियाली का विस्तार

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूर्वांचल, लखनऊ-आगरा और गोरखपुर एक्सप्रेसवे जैसे अन्य मार्गों पर भी सोलर पैनल लगाने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इससे हर साल 6 करोड़ रुपये की ऊर्जा बचत संभव होगी। यह सोलर एक्सप्रेसवे ना सिर्फ बिजली उत्पादन में मदद करेगा, बल्कि यूपी को ग्रीन स्टेट की दिशा में भी ले जाएगा। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे अन्य राज्य भी अपनाकर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को ऊर्जा उत्पादक बना सकते हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे अब सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा का मार्ग बन चुका है।

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