सोलर पैनल का नाम सुनते ही धूप और दिन का ख्याल आता है, क्योंकि बिना सूरज की रोशनी के सोलर पैनल काम नहीं करते। लेकिन अब यह मान्यता बदलने वाली है। अमेरिकी स्टार्टअप Reflect Orbital ने दुनिया का पहला नाइट सोलर पैनल विकसित किया है, जो रात के अंधेरे में भी बिजली पैदा करेगा। यह तकनीक अंतरिक्ष में स्थापित विशेष सैटेलाइट्स का उपयोग करेगी, जो सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर स्थित सोलर पैनल्स पर रिफ्लेक्ट करेंगे। इससे 24 घंटे सौर ऊर्जा उत्पादन संभव होगा, जो ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति साबित हो सकता है।

कैसे काम करेगी यह तकनीक?
इस प्रणाली में अंतरिक्ष में Mylar मिरर लगे सैटेलाइट्स को तैनात किया जाएगा। ये अत्यधिक चमकदार और हल्के मिरर सूर्य की किरणों को रात के समय पृथ्वी पर स्थित सोलर पैनल्स की ओर परावर्तित करेंगे। Reflect Orbital के CEO बेन नोवैक के अनुसार, इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा की सबसे बड़ी सीमा—रात में ऊर्जा उत्पादन का अभाव—को दूर करना है। कंपनी के प्रारंभिक परीक्षणों में 500 वाट प्रति वर्ग मीटर की ऊर्जा उत्पादन क्षमता दर्ज की गई है, जो इस तकनीक की संभावनाओं को उजागर करती है।
इसके क्या फायदे होंगे?
इस तकनीक से न केवल 24 घंटे बिजली उत्पादन संभव होगा, बल्कि इससे बैटरी स्टोरेज पर निर्भरता भी कम होगी। वर्तमान में, रात के समय सोलर एनर्जी को स्टोर करने के लिए महंगी बैटरियों की आवश्यकता होती है, लेकिन इस नई प्रणाली से सीधे रात में बिजली उत्पन्न की जा सकेगी। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। साथ ही, बिजली ग्रिड को स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि सौर ऊर्जा का उत्पादन निरंतर होगा।
क्या हैं चुनौतियाँ?
हालांकि यह तकनीक बेहद आशाजनक है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियाँ भी हैं। सैटेलाइट्स और मिरर को सटीक रूप से संरेखित करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। इसके अलावा, परावर्तित प्रकाश की तीव्रता और इसकी आर्थिक व्यवहार्यता पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित करने और उनके रखरखाव की लागत भी एक बड़ी चुनौती होगी।
इस तकनीक के सफल होने पर यह न केवल सौर ऊर्जा क्षेत्र, बल्कि पूरी दुनिया की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कंपनी का दावा है कि उनके ऐप के जरिए यूजर्स अपनी जरूरत के अनुसार रात में अतिरिक्त प्रकाश का ऑर्डर कर सकेंगे, जिससे ऊर्जा प्रबंधन और भी आसान हो जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो यह ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।
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