क्या आपने कभी सोचा है कि सोलर पैनल न सिर्फ बिजली बनाएँ, बल्कि आपके घर, शहर और इमारतों को खूबसूरत भी बना सकें? अब यह कल्पना सच्चाई में बदल चुकी है। यूरोप के नीदरलैंड स्थित AMOLF Institute के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा और क्रांतिकारी Eco-Solar Cell विकसित किया है जो बिजली के साथ-साथ सौंदर्य भी देता है। यह दुनिया का पहला ऐसा सोलर पैनल है, जिसकी सतह रंग बदल सकती है वो भी बिना बिजली उत्पादन की गुणवत्ता को ज्यादा प्रभावित किए। आमतौर पर सोलर पैनल को उनके रंग और लुक की वजह से “उबाऊ” या “काले डिब्बे” के रूप में देखा जाता है, लेकिन अब यह धारणा बदलने वाली है।

अब सोलर पैनल भी दिखेंगे स्टाइलिश
AMOLF की यह नई खोज उन लोगों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होगी जो अपने घर की खूबसूरती से कोई समझौता नहीं करना चाहते। सोलर पैनल अक्सर इसलिए नहीं लगाए जाते क्योंकि वे छत की डिज़ाइन को बिगाड़ते हैं या पुराने भवनों में मिसफिट लगते हैं। इस चुनौती को हल करते हुए वैज्ञानिकों ने soft-print lithography नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिसमें सिलिकॉन नैनोट्यूब्स की एक परत सोलर सेल्स पर लगाई जाती है। ये नैनोट्यूब्स किसी खास रंग की रोशनी को परावर्तित करते हैं, जिससे पैनल को हरा, नीला या लाल जैसा रंग मिल सकता है। और दिलचस्प बात यह है कि इससे पैनल की एफिशिएंसी में केवल 10% की ही कमी आती है।
एस्थेटिक्स की वजह से अब नहीं रुकेगा सोलर मिशन
अब ऐतिहासिक इमारतों, म्यूज़ियम, मॉडर्न अपार्टमेंट्स और यहां तक कि शहरी स्मारकों में भी बिना किसी विजुअल रुकावट के सोलर पैनल लगाए जा सकेंगे। जहां पहले सिर्फ इसलिए सोलर इंस्टॉल नहीं किया जाता था क्योंकि वह “खराब” दिखता था, अब वहां आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर्स Eco Panels को इमारत की सौंदर्यता के हिस्से की तरह उपयोग कर पाएंगे। भविष्य में जब ये पैनल अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होंगे, तब ये शहरी लैंडस्केप में और बेहतर तरीके से घुलमिल जाएंगे। यह तकनीक खासतौर पर ग्रीन रूफ्स, ग्लास वाल्स और हाई-एंड होम डिजाइन्स के लिए आदर्श साबित होगी।
रंग ही नहीं, परफॉर्मेंस भी देगा साथ
आप सोच सकते हैं कि अगर सोलर पैनल में रंग भर दिया जाए तो उसकी बिजली बनाने की क्षमता कम हो जाएगी। लेकिन वैज्ञानिकों ने यहां भी कमाल कर दिखाया है। नई तकनीक से बने ये Eco Panels पारंपरिक पैनलों के मुकाबले सिर्फ 10% कम एफिशिएंसी रखते हैं, लेकिन डिजाइन के नजरिए से ये 100% ज्यादा प्रभावशाली हैं। इतना ही नहीं, वैज्ञानिक अब ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं जिसमें सोलर पैनल्स मल्टी-लेयर होंगे और अलग-अलग लेयर अलग-अलग रोशनी को अवशोषित करेंगी। इससे कुल एफिशिएंसी 30% तक पहुंच सकती है – जो कि मौजूदा सोलर टेक्नोलॉजी से कहीं अधिक है।
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