चंडीगढ़ ने एक बार फिर देशभर में खुद को अग्रणी साबित किया है। अब यहां सेक्टर-39 के वाटर वर्क्स पर देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जिसकी क्षमता होगी 4 मेगावाट पीक (MWp)। यह परियोजना सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है। यह प्लांट पानी की सतह पर तैरते हुए बिजली का उत्पादन करेगा, जिससे न केवल जगह की बचत होगी बल्कि जल के वाष्पीकरण में भी कमी आएगी। यह प्रोजेक्ट चंडीगढ़ प्रशासन और क्रेस्ट (Chandigarh Renewable Energy and Science & Technology Promotion Society) की अगुवाई में तैयार किया जा रहा है।

चंडीगढ़ को हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा उन 34 शहरों की सूची में शामिल किया गया है, जिन्हें वर्ष 2030 तक सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाना है। इस दिशा में शहर तेजी से काम कर रहा है। इससे पहले भी चंडीगढ़ में सेक्टर-39 स्थित वाटर वर्क्स पर 2.5 मेगावाट पीक क्षमता वाला उत्तरी भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया गया था। अब नए प्रोजेक्ट के तहत इसकी क्षमता को दोगुना किया जा रहा है, जो इसे देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट बना देगा। इसके साथ ही आईटी पार्क के पार्किंग शेड्स पर भी एक मेगावाट पीक क्षमता का नया सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा।
सोलर एनर्जी को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन सिर्फ बड़े प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे स्थलों पर भी सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहर के 114 स्कूलों में से 108 स्कूलों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इन स्कूलों में पिछले साल 6.1 मिलियन यूनिट सोलर ऊर्जा की खपत हुई, जबकि कुल उत्पादन 7.32 मिलियन यूनिट रहा, जिससे अतिरिक्त ऊर्जा भी बची। इसके अलावा CHB की इमारतों, नगर निगम के भवनों और अन्य सरकारी स्थलों पर भी सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। अब तक शहर में कुल 10,988 स्थानों पर 90 मेगावाट पीक की सोलर क्षमता स्थापित की जा चुकी है जिससे अब तक 270.26 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न हुई है और लगभग 1.86 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में ही 28 मेगावाट पीक की नई सौर क्षमता से 25 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन हुआ है। इसके अलावा 31 दिसंबर 2024 तक चंडीगढ़ ने एक और उपलब्धि हासिल करते हुए सभी सरकारी कार्यालयों और सरकारी आवासीय भवनों को 100 फीसदी सौर ऊर्जा से लैस कर दिया है। शहर के 6,627 सरकारी स्थलों पर 18.1 मेगावाट पीक क्षमता के सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिससे सालाना 23.5 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और लगभग 12.69 करोड़ रुपये की बचत होगी। ये आंकड़े यह साबित करते हैं कि चंडीगढ़ वास्तव में देश की सबसे तेज़ी से विकसित होती सोलर सिटी बन रहा है, जो आने वाले समय में दूसरे शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा।
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