Invisible Solar Cell: अब दिखे बिना भी बनेगी बिजली, वायरलेस सिस्टम से चलेगा पूरा घर!

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | July 24, 2025

दुनिया में पहली बार एक ऐसी सोलर सेल सामने आई है जो पूरी तरह से इनविज़िबल है, यानी दिखाई ही नहीं देती, लेकिन फिर भी बिजली बना सकती है। यह कमाल किया है साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने, जिन्होंने पहली invisible solar cell को दुनिया के सामने पेश किया है। Ulsan National Institute of Science & Technology (UNIST) के शोधकर्ताओं ने इस अनोखी टेक्नोलॉजी को तैयार किया है जो पारंपरिक सोलर पैनल्स की कई सीमाओं को तोड़ती है। इस सेल की खासियत यह है कि यह देखने में एकदम कांच जैसी लगती है, लेकिन सूरज की रोशनी से बिजली पैदा करती है। इसे “All-Back-Contact (ABC)” डिजाइन पर बनाया गया है, जिसमें सभी इलेक्ट्रिकल वायरिंग पीछे की तरफ होती है, जिससे इसका आगे का हिस्सा पूरी तरह पारदर्शी रहता है।

Invisible Solar Cell

इस इनविज़िबल सोलर सेल की एक और बड़ी खासियत यह है कि यह बिना किसी वायर कनेक्शन के काम करती है। वैज्ञानिकों ने “Seamless Modularization” सॉल्यूशन के ज़रिए डिवाइस गैप्स को खत्म किया है, जिससे सोलर मॉड्यूल वायरलेस तरीके से जुड़ जाते हैं। इतना ही नहीं, इसका 16 cm² का एक छोटा मॉड्यूल सीधे सूरज की रोशनी में एक स्मार्टफोन को चार्ज कर सकता है और इसने 14.7% की पावर एफिशिएंसी भी दिखाई है। पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में यह ट्रांसपेरेंट सोलर पैनल पूरी तरह से साफ-सुथरी दिखने वाली तकनीक है, जिससे छत या दीवार की खूबसूरती भी बनी रहती है और बिजली भी बनती रहती है। यह तकनीक ऐसे यूवी और इन्फ्रारेड किरणों को सोखती है, जिन्हें हमारी आंख नहीं देख सकती, जबकि विज़िबल लाइट को पार होने देती है।

इस ट्रांसपेरेंट सोलर टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह जगह की समस्या को खत्म कर सकती है। अब आपको बिजली बनाने के लिए छत की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि ये सोलर सेल खिड़कियों, बिल्डिंग की दीवारों, बस स्टॉप के ग्लास शेड, ट्रेन स्टेशन, या यहां तक कि मोबाइल स्क्रीन में भी लग सकती है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में हमारी गाड़ियों की खिड़कियां, घर की दीवारें और यहां तक कि हमारे पहनने वाले गैजेट्स भी खुद-ब-खुद बिजली बनाकर खुद को चार्ज कर सकेंगे। यह तकनीक खासकर शहरों में बड़ी क्रांति ला सकती है, जहां पहले से ही जगह की भारी कमी है।

भले ही अभी इस टेक्नोलॉजी की एफिशिएंसी पारंपरिक सोलर पैनल्स से थोड़ी कम है, लेकिन शोधकर्ता लगातार इस पर काम कर रहे हैं ताकि इसकी पावर एफिशिएंसी बढ़ाई जा सके और लागत कम की जा सके। यह ट्रांसपेरेंट सोलर सेल पर्यावरण के अनुकूल मटेरियल्स से बनी है जैसे कि निकेल ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जो आसानी से उपलब्ध भी हैं और इको-फ्रेंडली भी। आने वाले समय में यह टेक्नोलॉजी हमारी इमारतों, डिवाइसेज़ और पूरे शहरों को इस तरह से पावर दे सकती है, जैसे हमने कभी सोचा भी नहीं था। यह वास्तव में “अनदेखी बिजली” का युग है जो दिखती नहीं, लेकिन हर जगह काम करती है।

यह भी पढ़े – 👉 PM सूर्यघर योजना में बड़ा बदलाव! सिर्फ 6 महीने में चुना जाएगा देश का सबसे पावरफुल सोलर गांव

Leave a Comment

error: Content is protected !!
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें WhatsApp Icon