सोलर एनर्जी की दुनिया में अब एक नया अध्याय शुरू हो गया है और इसकी वजह है JinkoSolar का लेटेस्ट सोलर पैनल – Tiger Neo 3.0। यह नया पैनल न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ 24.8% एफिशिएंसी के साथ आया है, बल्कि 670W तक की पावर जनरेशन क्षमता के साथ यह मार्केट में हर दूसरी टेक्नोलॉजी को पीछे छोड़ रहा है। यह पैनल खासकर उन लोगों के लिए एक वरदान बन सकता है जो अपने घर को सोलर सिस्टम से पावर देना चाहते हैं। इसकी ताकत इतनी है कि एक बार इंस्टॉल होने के बाद यह आपके घर को एक मिनी पावर स्टेशन में बदल सकता है।

Tiger Neo 3.0: एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ जबरदस्त परफॉर्मेंस
Tiger Neo 3.0 सीरीज में JinkoSolar ने TOPCon (Tunnel Oxide Passivated Contact) तकनीक का इस्तेमाल किया है जो कि PERC टेक्नोलॉजी से काफी बेहतर है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम रोशनी या सूर्य की सीधी रौशनी न होने पर भी शानदार परफॉर्मेंस देती है। यह पैनल दो पावर ऑप्शन में उपलब्ध है – 495W जो घरेलू उपयोग के लिए परफेक्ट है और 670W जो बड़े प्रोजेक्ट्स या कमर्शियल इंस्टॉलेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है। दोनों वर्जन में एक समान खूबियाँ हैं जैसे 24.8% एफिशिएंसी, 85% से ज्यादा बिफेशियल फैक्टर और केवल 0.4% की सालाना डिग्रेडेशन। इसका मतलब है कि ये पैनल लंबे समय तक ज्यादा बिजली बनाएंगे और इनका मेंटेनेंस भी बहुत कम होगा।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा: ROI का नया गणित
इस पैनल के आने के बाद सोलर सिस्टम की गणना ही बदल गई है। जहां पहले किसी सोलर प्रोजेक्ट को लागत निकालने में 6 से 8 साल लगते थे, वहीं अब Tiger Neo 3.0 जैसे पैनल्स के साथ यह समय घटकर 4 से 5 साल रह गया है। और ये सब बिना किसी सब्सिडी या टैक्स छूट के हो रहा है। TOPCon टेक्नोलॉजी के कारण ना केवल बिजली उत्पादन ज्यादा होता है बल्कि इसके लिए कम स्ट्रक्चर की ज़रूरत होती है जिससे लागत में भी भारी कमी आती है। यानी अब कम खर्च में ज्यादा बिजली और तेज रिटर्न मिलने लगा है। इस वजह से कई कंपनियां और घरेलू उपभोक्ता इस नई टेक्नोलॉजी की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
इंस्टॉलेशन से लेकर लॉजिस्टिक्स तक, सब कुछ बदल रहा है
Tiger Neo 3.0 की वजह से सोलर सिस्टम की प्लानिंग ही बदल रही है। अब एक ही छत पर कम पैनल लगाकर भी पहले से ज्यादा बिजली बनाई जा सकती है। इससे इंस्टॉलेशन का खर्च, स्ट्रक्चर की लागत और जगह – तीनों में बचत होती है। यही नहीं, ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग में भी आसानी होती है क्योंकि कम पैनल में ज्यादा एनर्जी मिल रही है। ये टेक्नोलॉजी सोलर फार्म्स के लेआउट से लेकर घरेलू सिस्टम की वायरिंग तक को नया रूप दे रही है। अब शहरों में भी कम जगह में पावरफुल सोलर सिस्टम लगाना मुमकिन हो गया है जो कि पहले बड़ी जगहों तक ही सीमित था।
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