Kesterite जिसे रसायन Cu₂ZnSnS₄ या CZTS भी कहा जाता है, एक ऐसा सेमीकंडक्टर है जो कॉपर, ज़िंक, टिन और सल्फर जैसे धरती पर प्रचुर व अविषैला तत्वों से बनता है। शुरुआती प्रयोगों में इसकी पावर कन्वर्ज़न एफिशिएंसी अपेक्षाकृत कम रही, इसलिए इसे ज़्यादा तवज्जो नहीं मिली। मगर हाल की खोजों ने दिखाया है कि सही प्रोसेसिंग से यही सामग्री सस्ते, पर्यावरण–अनुकूल और दीर्घ जीवन वाले सोलर पैनल तैयार कर सकती है। यही विशेषता इसे सिलिकॉन और परोव्स्काइट जैसी लोकप्रिय तकनीकों का व्यवहारिक विकल्प बनाती है।

UNSW की उपलब्धि: 13.2 % एफिशिएंसी ने बदली धारणा
जनवरी 2025 में ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (UNSW) की प्रोफेसर Xiaojing Hao के नेतृत्व वाली टीम ने Kesterite सेल में रिकॉर्ड 13.2 % एफिशिएंसी हासिल की। यह उपलब्धि हाइड्रोजन–समृद्ध वातावरण में सेल को सॉलिडिफ़ाई करने से संभव हुई, जिसने क्रिस्टल के भीतर के डिफेक्ट्स को कम कर दिया और इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट बेहतर बनाया। इस एक क़दम ने सिद्ध कर दिया कि Kesterite वो क्षमता रखता है जिसे अब तक केवल परोव्स्काइट या सिलिकॉन से जोड़ा जाता था।
टिकाऊपन, सुरक्षा और लागत—तीनों मोर्चों पर बाज़ी मारता Kesterite
जहाँ परोव्स्काइट सेल उच्च एफिशिएंसी के बावजूद नमी व उष्मा से जल्द खराब हो जाती हैं और उनमें सीसा जैसी विषैली धातुएँ भी शामिल होती हैं, वहीं Kesterite में ऐसी कोई समस्या नहीं है। यह स्वाभाविक रूप से अधिक स्थिर है, विषैले तत्वों से मुक्त है और कच्चा माल आसानी से उपलब्ध होने के कारण निर्माण लागत भी कम रखता है। यही वजह है कि बड़े पैमाने पर सोलर पावर प्लांट, ग्रामीण विद्युतीकरण या घर–घर rooftops जैसी परियोजनाओं के लिए यह तकनीक बेहद आकर्षक मानी जा रही है।
आगे का सफ़र: 20 % एफिशिएंसी का लक्ष्य और ऊर्जा क्षेत्र में संभावनाएँ
UNSW की टीम का मानना है कि उन्नत निर्माण विधियों और बेहतर डिवाइस डिज़ाइन से Kesterite सेल 20 % एफिशिएंसी के क़रीब पहुँच सकते हैं। यदि यह लक्ष्य हासिल होता है तो न केवल सोलर पैनल सस्ते होंगे, बल्कि उनकी कार्य–आयु और पर्यावरणीय अनुकूलता भी बढ़ेगी। इससे नवीनीकृत ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की राह खुलेगी, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ महँगे सिलिकॉन मॉड्यूल्स या पर्यावरण–संवेदनशील परोव्स्काइट को अपनाना व्यवहारिक नहीं है।
Kesterite की इन खूबियों ने साफ़ कर दिया है कि सोलर टेक्नोलॉजी का भविष्य अब एक नए मोड़ पर ख़ड़ा है। जैसे–जैसे अनुसंधान आगे बढ़ेगा, सस्ते, टिकाऊ और ज़्यादा पावरफुल सोलर पैनल आम उपभोक्ता की पहुँच में आएँगे और स्वच्छ ऊर्जा का स्वप्न पहले से कहीं ज़्यादा वास्तविक लगेगा।
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