21 जुलाई 2025 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने एक बड़ा कदम उठाया है जिससे पूरे देश में Rooftop Solar सिस्टम को लेकर एक नई सुरक्षा व्यवस्था लागू की जा रही है। यह कदम खासतौर पर “पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना” के तहत लगने वाले सोलर सिस्टम्स के लिए है। इस योजना का लक्ष्य है देशभर के एक करोड़ घरों पर 30 GW क्षमता तक के सोलर प्लांट लगाना है। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रही है, वैसे-वैसे डेटा चोरी और सिस्टम हैकिंग का खतरा भी बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए MNRE ने अब इन्वर्टर और कम्युनिकेशन डिवाइसेज के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं।

अब इन्वर्टर से डेटा बाहर नहीं जाएगा
MNRE को यह चिंता सता रही थी कि कुछ इन्वर्टर कंपनियों के कम्युनिकेशन मॉड्यूल्स सारा डेटा विदेशी सर्वरों पर भेज रहे थे। इससे दो बड़ी दिक्कतें सामने आ रही थीं – एक, पावर ग्रिड की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी और दूसरा, देश की ऊर्जा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी विदेशी कंपनियों के पास जा रही थी। इसके कारण कोई बाहरी संस्था इन इन्वर्टर को कंट्रोल करके पावर सप्लाई को बिगाड़ सकती थी। MNRE ने अब ये तय किया है कि इस योजना के तहत जितने भी सोलर सिस्टम इंस्टॉल होंगे, उनका डेटा सिर्फ भारत में बने और संचालित सर्वरों पर स्टोर होगा जिसे मंत्रालय या उसकी ओर से अधिकृत कोई एजेंसी मैनेज करेगी।
सभी डिवाइस में अनिवार्य होगा M2M SIM का इस्तेमाल
MNRE ने नए नियमों में यह स्पष्ट किया है कि अब से हर इन्वर्टर में लगे कम्युनिकेशन डिवाइस – जैसे कि डोंगल या डेटा लॉगर में सिर्फ Machine-to-Machine (M2M) SIM का ही उपयोग किया जाएगा। इस प्रकार की सिम खासतौर पर सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन के लिए बनाई जाती है। इससे इन्वर्टर से जुड़ी सारी जानकारी एक सुरक्षित नेटवर्क के जरिए ही राष्ट्रीय पोर्टल तक पहुंचेगी, जिससे किसी तरह की हैकिंग या डेटा लीक की संभावना नहीं रहेगी। मंत्रालय इसी के साथ एक ऐसा ओपन और वेंडर-न्यूट्रल कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल भी तैयार कर रहा है, जिससे सभी सोलर कंपनियों की डिवाइस एक समान तरीके से कनेक्ट हो सकें। यह गाइडलाइन 1 सितंबर 2025 से टेस्टिंग के लिए जारी होगी।
कब से होंगे ये नियम लागू
MNRE ने फिलहाल यह घोषणा नहीं की है कि ये सभी बदलाव किस तारीख से अनिवार्य होंगे, लेकिन मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि एक अलग अधिसूचना में इसकी जानकारी जल्द दी जाएगी। हालांकि, इन्वर्टर बनाने वाली सभी कंपनियों को अब अपनी डिवाइसेज को MNRE के सर्वर से जोड़ना ही होगा, चाहे वह भारत की हो या कोई अन्य देश की। इसका सीधा मतलब है कि अब बिना भारतीय नियंत्रण के कोई भी सोलर इन्वर्टर सिस्टम योजना के तहत मान्य नहीं होगा। इससे जहां सरकार को सटीक मॉनिटरिंग मिलेगी, वहीं यूजर्स को भी अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय सिस्टम मिलेगा।
भारत बनेगा आत्मनिर्भर और सोलर सिस्टम होंगे ज्यादा सुरक्षित
यह फैसला प्रधानमंत्री की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की सोच के अनुरूप है। MNRE का उद्देश्य है कि भारत की सोलर क्रांति सिर्फ उत्पादन तक सीमित न रहे, बल्कि उसकी निगरानी और नियंत्रण भी पूरी तरह भारतीय व्यवस्था के अंतर्गत हो। इससे न सिर्फ ग्रिड को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि सोलर योजनाओं में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश भी नहीं बचेगी। एक सेंट्रलाइज्ड और सुरक्षित डेटा प्लेटफॉर्म पर सारा नियंत्रण होने से भविष्य में पावर मैनेजमेंट और सब्सिडी प्रोसेस भी ज्यादा आसान और पारदर्शी हो जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो अब भारत का सोलर सिस्टम सिर्फ हर घर को रोशन नहीं करेगा, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत बनाएगा।
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