सोलर इन्वर्टर बनाने वालों की अब खैर नहीं! MNRE ने जारी की सख्त टेस्टिंग गाइडलाइन, एक भी गलती पड़ सकती है भारी! 

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | June 26, 2025

भारत सरकार की Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) ने सोलर इन्वर्टर इंडस्ट्री के लिए नई और सख्त टेस्टिंग गाइडलाइन का ड्राफ्ट जारी किया है। यह गाइडलाइन “Solar Systems, Devices, and Components Goods Order, 2025” के तहत लाई गई है, जिसका उद्देश्य इन्वर्टर मैन्युफैक्चरिंग में गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। अब तक जहां कुछ कंपनियां सिर्फ हाई मॉडल को टेस्ट करवाकर पूरी सीरीज के लिए अप्रूवल ले लेती थीं, वहीं अब यह आसान नहीं रहेगा। इस नए सिस्टम में एक भी चूक भारी पड़ सकती है, क्योंकि MNRE ने टेस्टिंग को लेकर बेहद स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी किए हैं।

MNRE Guidelines Solar Inverters Testing

किन इन्वर्टर्स पर लागू होंगी ये गाइडलाइंस?

ये नई गाइडलाइन SPV आधारित ऑफ-ग्रिड, ग्रिड-टाइड और हाइब्रिड इन्वर्टर्स पर लागू होंगी। इसमें कहा गया है कि किसी भी “प्रोडक्ट फैमिली” में तब तक सभी मॉडल शामिल नहीं माने जाएंगे जब तक वे एक जैसे हार्डवेयर और फर्मवेयर, इनपुट और आउटपुट वोल्टेज, फ्रीक्वेंसी, आउटपुट फेज, PCB लेआउट, इंसुलेशन क्लास, कंट्रोल एल्गोरिदम और कैबिनेट डिजाइन को साझा न करें। यानी अब किसी भी तरह की आंतरिक तकनीकी या डिजाइन से जुड़ी फेरबदल पर नजर रखी जाएगी। अगर इनमें कोई बदलाव पाया गया तो उस मॉडल को दोबारा से टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा।

टेस्टिंग प्रक्रिया होगी कड़ी और सीमित मौके मिलेंगे

MNRE ने टेस्टिंग को लेकर भी साफ कर दिया है कि अब ढिलाई की कोई जगह नहीं है। सुरक्षा और परफॉर्मेंस टेस्टिंग के लिए एक फैमिली में सबसे ज्यादा रेटेड मॉडल को IS 16221 (Part 2):2015 और IS 16169:2019 के मानकों के आधार पर टेस्ट किया जाएगा। इस टेस्ट की रिपोर्ट पूरे फैमिली मॉडल्स पर लागू होगी। लेकिन जहां एफिशिएंसी से जुड़े मानक IS/IEC 61683:1999 और IS 17980:2022 (IEC 62891:2020) की बात आती है, वहां हर मॉडल को अलग-अलग टेस्ट कराना जरूरी होगा। अगर कोई टेस्ट फेल होता है तो सिर्फ एक बार फिर से नया सैंपल जमा करके उसी टेस्ट सीक्वेंस को दोहराने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन यदि दूसरी बार भी फेल हुआ, तो मॉडल पूरी तरह से डिसक्वालिफाई कर दिया जाएगा।

डॉक्युमेंटेशन और लेबलिंग में भी सख्ती

अब हर इन्वर्टर मॉडल के साथ मैन्युफैक्चरर को कई जरूरी टेक्निकल डॉक्युमेंट जमा करने होंगे। इनमें डेटा शीट, सिंगल लाइन डायग्राम, PCB लेआउट, BOM लिस्ट, फर्मवेयर वर्जन और यूजर मैनुअल शामिल हैं। इनवर्टर पर लेबल लगाना अनिवार्य होगा जिसमें मैन्युफैक्चरर का नाम, मॉडल नंबर, इनपुट/आउटपुट रेटिंग और प्रोटेक्शन रेटिंग जैसे विवरण स्पष्ट रूप से होने चाहिए। अगर इन्वर्टर में फ्यूज का उपयोग किया गया है, तो उसके पास फ्यूज रेटिंग का मार्किंग होना भी अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं, यदि एक ही मॉडल दो अलग-अलग लोकेशन पर बनाया गया है, तो दोनों लोकेशन से बने मॉडल्स को अलग-अलग टेस्टिंग से गुजरना होगा।

अब राय देने का समय, लेकिन जल्दबाज़ी जरूरी है

MNRE ने यह गाइडलाइन फिलहाल ड्राफ्ट के रूप में जारी की है और सभी स्टेकहोल्डर्स को 15 दिनों के भीतर ईमेल के माध्यम से सुझाव भेजने का मौका दिया गया है। यह समय सीमित है और एक बार गाइडलाइन फाइनल हो गई तो उसके बाद इन नियमों को मानना सभी मैन्युफैक्चरर्स के लिए अनिवार्य होगा। MNRE ने साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी सबमिट किए गए दस्तावेजों की गोपनीयता टेस्ट लैब द्वारा बरकरार रखी जाए। इसके अलावा, रिपोर्ट में सभी ब्रांड और मॉडल नंबर शामिल होना अनिवार्य होगा, चाहे टेस्ट सिर्फ हाई रेटेड मॉडल पर हुआ हो।

इस नए सिस्टम से यह साफ है कि अब सोलर इन्वर्टर इंडस्ट्री में क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सस्ती क्वालिटी या अधूरी टेस्टिंग के सहारे बाजार में उतरने की कोशिश अब काम नहीं आएगी। इस कदम से उपभोक्ताओं को भरोसेमंद और सुरक्षित सोलर इन्वर्टर मिलेंगे और देश में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र की विश्वसनीयता और भी मजबूत होगी।

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