अब बालकनी से भी बनेगी बिजली! Plug-in Solar Panel लगाओ और बिजली बिल को कर दो गायब

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | July 27, 2025

आज के समय में जब बिजली के बिल लगातार बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में लोग सोलर पावर की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। अब तक सोलर पैनल केवल छत पर लगाए जाते थे, लेकिन अब यूरोप समेत कई देशों में एक नई तकनीक चर्चा में है – Plug-in Solar Panels, जिन्हें आप अपनी बालकनी में लगाकर बिजली बना सकते हैं। यह तकनीक खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपार्टमेंट में रहते हैं और जिनके पास छत नहीं है। बिना किसी जटिल वायरिंग के, यह प्लग-इन सोलर पैनल सीधे इन्वर्टर और स्टैंडर्ड प्लग के जरिए बिजली सप्लाई कर सकते हैं। यानी अब बिजली बनाना हुआ बेहद आसान और सस्ता।

Plug-in Solar Panel for home

क्या होते हैं Plug-in Solar Panels और कैसे करते हैं काम?

Plug-in सोलर पैनल एक आसान विकल्प हैं जो बालकनी की रेलिंग या दीवार पर लगाए जा सकते हैं। इन्हें किसी बड़ी वायरिंग या घर के पावर सिस्टम से जोड़ने की ज़रूरत नहीं होती। इनसे बनी बिजली को एक वेदरप्रूफ एक्सटर्नल प्लग के जरिए इन्वर्टर में भेजा जाता है और वहां से यह आपके घर के सॉकेट में जा सकती है। इस तरह आप अपने टीवी, लैपटॉप, लाइट्स जैसे छोटे उपकरणों को आसानी से चला सकते हैं। हालांकि इनका उपयोग ओवन या गीजर जैसे हाई-पावर डिवाइसेस के लिए नहीं किया जा सकता। यह तकनीक खासकर शहरी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जहां छत की जगह नहीं होती लेकिन बालकनी का अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है।

कितनी होती है लागत और क्या मिलता है आउटपुट?

एक सामान्य 800W का प्लग-इन सोलर सिस्टम विदेशों में लगभग ₹50,000 से ₹55,000 की कीमत में मिल रहा है। इसे बालकनी में वर्टिकल यानी सीधा लगाने पर यह सालाना लगभग 132 किलोवाट-घंटे (kWh) बिजली बना सकता है। यदि इसे सही एंगल (लगभग 37.6 डिग्री) पर लगाया जाए और शेड से दूर रखा जाए, तो यह आउटपुट 370 kWh/साल तक जा सकता है। ऐसे में बिजली बिल में भारी कटौती हो सकती है। हालांकि, इस सिस्टम की पेबैक अवधि उस पर निर्भर करती है कि आपका घर किस दिशा में है, कितनी धूप मिलती है और आप दिन में कितना समय घर पर रहते हैं। अगर आप दिन के वक्त घर पर नहीं हैं और पैनल से बनी बिजली का उपयोग नहीं हो पाता, तो फायदा कम हो सकता है। इसे बैटरी से जोड़ा जाए तो बिजली स्टोर कर सकते हैं, लेकिन इससे लागत और तकनीकी जटिलता दोनों बढ़ जाती हैं।

भारत में कितना कारगर होगा यह सिस्टम?

भारत जैसे देश में जहां सालभर भरपूर धूप मिलती है, वहां प्लग-इन सोलर पैनल एक अच्छा विकल्प बन सकते हैं। खासकर महानगरों के अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के लिए यह सोलर सिस्टम छोटा लेकिन कारगर विकल्प हो सकता है। हालांकि यहां भी कुछ चुनौतियाँ हैं जैसे – हर फ्लैट में वेदरप्रूफ प्लग नहीं होते, कुछ जगहों पर बिल्डिंग की अनुमति लेनी पड़ सकती है और कई बार बालकनी पर वजन या उपकरण लगाने को लेकर सोसायटी के नियम भी आड़े आ सकते हैं। साथ ही उत्तर दिशा की ओर बनी बालकनी में धूप कम आती है, जिससे आउटपुट पर असर पड़ता है। ऐसे में यह सिस्टम हर जगह फिट नहीं बैठता, लेकिन सही लोकेशन और सही दिशा में यह सिस्टम बिजली बचाने का बेहतरीन तरीका बन सकता है।

रूफटॉप सोलर सिस्टम या बालकनी सोलर – कौन बेहतर?

अगर आपके पास खुद की छत है तो रूफटॉप सोलर सिस्टम अब भी बेहतर विकल्प है। एक 4kW का मॉनोक्रिस्टलाइन रूफटॉप सिस्टम करीब ₹5.5 लाख में आता है और यह हर साल लगभग 2,970 kWh बिजली बना सकता है, जिससे इसका पेबैक पीरियड सिर्फ 7 से 8 साल होता है। इतना ही नहीं, भारत में सरकार की ओर से रूफटॉप सोलर सिस्टम पर सब्सिडी भी मिलती है, जिससे खर्च और कम हो सकता है। वहीं प्लग-इन सोलर पैनल छोटी जगह के लिए हैं और ये तब फायदेमंद हैं जब आपको कुछ सीमित उपकरणों को ही चलाना हो। इसलिए अगर आप अपार्टमेंट में रहते हैं और अपनी बालकनी का सही उपयोग करना चाहते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प बन सकता है। लेकिन अगर आप ज्यादा बिजली बनाना चाहते हैं और आपके पास छत की सुविधा है, तो रूफटॉप सोलर सिस्टम अब भी ज्यादा दमदार विकल्प है।

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