PM सूर्य घर योजना से 1 करोड़ घर होंगे सोलर से लैस, साथ में सूरज की रौशनी से बनेगी हाइड्रोजन भी! जानिए कैसे 

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | June 25, 2025

भारत ने 20 जून 2025 को अपनी स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में दो बड़े कदम उठाए, जिससे यह साफ हो गया कि देश अब क्लीन एनर्जी में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। पहला बड़ा ऐलान था PM सूर्य घर योजना के तहत “City Accelerator Program” की शुरुआत, जिससे देश के 1 करोड़ घर सोलर एनर्जी से लैस होंगे। दूसरा ऐलान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से था, जिसमें एक ऐसी नई डिवाइस पेश की गई है जो सूरज की रौशनी से पानी को हाइड्रोजन में बदल सकती है। ये दोनों घोषणाएं न सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर इशारा करती हैं, बल्कि भारत के हर घर तक स्वच्छ और सस्ती बिजली पहुंचाने के मिशन को भी आगे बढ़ाती हैं।

PM Suryaghar to Produce Hydrogen

शहरों में तेजी से Rooftop Solar को अपनाने की तैयारी

MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा लॉन्च किया गया City Accelerator Program भारत का अब तक का सबसे बड़ा शहरी सोलर प्रोग्राम है, जो सीधे 1 करोड़ घरों को सोलर से जोड़ने की योजना रखता है। इस योजना को सबसे पहले 10 राज्यों के 30 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा और फिर इसे 100 शहरों तक बढ़ाया जाएगा। इस कार्यक्रम का मकसद शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) और बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को तकनीकी सहायता और नीति मार्गदर्शन देना है ताकि शहरों में रूफटॉप सोलर लगाने की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाया जा सके। इसके लिए शहरों में नीति सुधार, वित्तीय मॉडल तैयार करना, लोगों को जागरूक करना और ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाना जैसे कई उपाय किए जाएंगे।

2030 तक 500 GW रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य की ओर एक मजबूत कदम

City Accelerator Program का मुख्य उद्देश्य भारत को 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करने में मदद करना है। इसके लिए MNRE ने शक्ति फाउंडेशन के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है, जिसमें हर शहर को उसकी जरूरत के हिसाब से नीति और टेक्नोलॉजी दी जाएगी। यह प्रोग्राम शहरों को “सोलर-रेडी” बनाएगा, यानी ऐसे मॉडल तैयार किए जाएंगे जो दूसरे शहरों में भी आसानी से लागू किए जा सकें। MNRE एक केंद्रीय मॉनिटरिंग सेल बनाएगा जो सुनिश्चित करेगा कि यह योजना समय पर और प्रभावशाली तरीके से लागू हो। यह योजना शहरी भारत को आत्मनिर्भर और क्लीन एनर्जी पर आधारित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

सूरज की रौशनी से हाइड्रोजन 

यही नहीं, 20 जून को ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में एक बड़ा वैज्ञानिक आविष्कार भी किया। बेंगलुरु स्थित CeNS (Centre for Nano and Soft Matter Sciences) के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है जो पानी के अणुओं को सिर्फ सूरज की रौशनी से हाइड्रोजन में बदल देती है। इस डिवाइस में सिलिकॉन-आधारित फोटोएनोड का प्रयोग हुआ है, जिसमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड (TiO₂), सिलिकॉन और NiO की परतें हैं। यह डिवाइस न केवल ऊर्जा कुशल है, बल्कि इसे बनाने में इस्तेमाल हुए सभी मटेरियल्स सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं। यह डिवाइस 10 घंटे तक लगातार काम कर सकती है और इसके प्रदर्शन में केवल 4% गिरावट देखी गई है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में सोलर से हाइड्रोजन उत्पादन अब सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर उद्योगों में भी इसका उपयोग संभव होगा।

भारत बना रहा है ऊर्जा आत्मनिर्भरता का नया मॉडल

इन दोनों घोषणाओं से यह स्पष्ट है कि भारत अब क्लीन एनर्जी क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और जमीनी क्रियान्वयन – दोनों में आगे बढ़ रहा है। एक तरफ PM सूर्य घर योजना के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मुफ्त और टिकाऊ बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन को व्यावहारिक रूप दिया जा रहा है। यह मॉडल न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकता है। भारत न केवल अपने नागरिकों को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जा रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में जब पूरी दुनिया ऊर्जा संकट से जूझ रही होगी, तब भारत का यह सोलर और हाइड्रोजन आधारित मॉडल वैश्विक समाधान के रूप में सामने आ सकता है।

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