आजकल सोलर सिस्टम लगाने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है लेकिन एक आम समस्या यह है कि लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उन्हें अपने घर के लिए कितने किलोवाट (kW) का प्लांट लगाना चाहिए। मार्केट में कई कंपनियां सलाह देती हैं कि 8kW, 10kW लगवा लीजिए, लेकिन क्या वाकई इसकी जरूरत होती है? कई बार लोग ज्यादा बड़ा प्लांट लगवा लेते हैं और बाद में पछताते हैं कि खर्चा ज्यादा हो गया और फायदा उतना नहीं मिला। इसीलिए सही कैपेसिटी चुनना बेहद जरूरी है ताकि न तो पैसा बर्बाद हो और न ही बिजली की कमी हो।

बिजली के बिल से निकालें सटीक कैलकुलेशन
सही सोलर कैपेसिटी तय करने के लिए सबसे पहला और आसान तरीका है कि आप अपने पिछले 12 महीनों के बिजली के बिल उठाकर देखें। गर्मियों में अगर आपका बिल ₹6000–₹7000 आता है और सर्दियों में ₹3000–₹4000 है तो आपकी औसतन खपत लगभग 500 यूनिट प्रति महीना हो सकती है। एक सामान्य गणना के अनुसार 1 किलोवाट का सोलर प्लांट प्रति दिन औसतन 4 यूनिट बिजली बनाता है यानी लगभग 120 यूनिट प्रति महीना बनाता है। इस हिसाब से यदि आपकी खपत 500 यूनिट है तो आपको लगभग 4.5kW से 5kW का प्लांट लगवाना चाहिए। इससे ज्यादा लगवाने का कोई फायदा नहीं क्योंकि अतिरिक्त जनरेशन का आपको पूरा पैसा नहीं मिलता है।
ज्यादा जनरेशन से नुकसान भी हो सकता है
बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर हम ज्यादा यूनिट बनाएंगे तो सरकार उसे खरीद लेगी और हम मुनाफे में रहेंगे, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। सरकार आपकी अतिरिक्त यूनिट को ₹2.71 प्रति यूनिट के हिसाब से ही खरीदती है जबकि अगर वही बिजली आप खुद इस्तेमाल करते तो ₹6–₹8 प्रति यूनिट की बचत होती है। यानी एक्स्ट्रा जनरेशन आपको ज्यादा मुनाफा नहीं देती है बल्कि आपकी लागत को बढ़ा देती है। इसलिए हमेशा उतना ही सोलर प्लांट लगवाएं जितनी आपकी औसतन खपत है। माइनर ऊपर-नीचे चलता रहता है, लेकिन जानबूझकर ज्यादा लगाना समझदारी नहीं है।
भविष्य की जरूरत के लिए इन्वर्टर रखें बड़ा
अब यह बात भी सही है कि आने वाले समय में आपके घर की खपत बढ़ सकती है। जैसे बच्चों के बड़े होने पर नए रूम, एसी आदि लग सकते हैं। ऐसे में एक आसान उपाय है कि आप अभी के लिए जितनी जरूरत हो उतना ही सोलर पैनल लगवाएं, लेकिन इन्वर्टर थोड़ा बड़ा लगवा लें। उदाहरण के लिए आप 6kW के पैनल लगवाइए लेकिन इन्वर्टर 10kW का लगवा लीजिए। इससे जब भविष्य में जरूरत बढ़ेगी, तो आप केवल अतिरिक्त पैनल जोड़कर पूरे सिस्टम को 10kW तक बढ़ा सकेंगे। इससे आपको बार-बार इन्वर्टर बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप केवल सोलर पेनल्स को बढाकर सिस्टम की कैपेसिटी बढ़ा सकते है।
स्मार्ट प्लानिंग से पाएं लंबे समय तक फायदा
कई लोग सोचते हैं कि अगर इन्वर्टर बड़ा है तो क्या वायरिंग भी बड़ी करनी पड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। वायरिंग हमेशा इन्वर्टर की कैपेसिटी के अनुसार ही की जाती है भले ही आप अभी कम पैनल लगा रहे हों। इसलिए सबसे सही तरीका यही है कि आप अपनी वर्तमान खपत के अनुसार सोलर सिस्टम लगवाएं और भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इन्वर्टर को थोड़ा बड़ा रखें। इन्वर्टर के हिसाब से वायरिंग पहले ही हो जाती है बाद में बस सोलर पैनल ऐड करने होते है, इससे आपकी सोलर इन्वेस्टमेंट लंबे समय तक काम आएगी और कभी भी जरूरत पड़ने पर आप उसे आसानी से अपग्रेड कर पाएंगे। यही समझदारी है और यही आज के स्मार्ट सोलर यूजर का तरीका भी।
यह भी पढ़े – 👉 सिर्फ 2 सोलर पैनल और 1 बैटरी से चलाओ पूरा घर! जानिए Servotech के इस दमदार 1KW Solar Combo की ताकत