2 छोटे पंखे मिलकर बना रहे हैं 37% ज्यादा बिजली! साइंटिस्ट्स ने हवा की छिपी हुई Twist से निकाली नई ताकत!

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | July 10, 2025

अब तक आपने बड़ी-बड़ी पवन टरबाइनों को ही बिजली बनाते देखा होगा लेकिन अब साइंटिस्ट्स ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो पवन ऊर्जा की दुनिया में क्रांति ला सकता है। एक रिसर्च में पाया गया है कि दो छोटे माइक्रो टरबाइनों को एक खास तरीके से मिलाकर इस्तेमाल किया जाए तो वो अकेले एक टरबाइन के मुकाबले 37% ज्यादा बिजली बना सकती हैं। इस स्टडी के अनुसार,\ हवा में एक “छिपी हुई twist” होती है जिसे पारंपरिक टरबाइन पकड़ नहीं पाती, लेकिन अगर दो पंखे उल्टी दिशा में एक खास दूरी पर लगाए जाएं तो उस बचे हुए twist को भी ऊर्जा में बदला जा सकता है।

Tiny wind turbines generate 37 percent more power

इस रिसर्च को लीड किया है Shuo Zhang की टीम ने, जिन्होंने माइक्रो टरबाइनों पर फोकस किया — यानी ऐसे पंखे जिनका डायामीटर 200mm से भी कम होता है। ये छोटे पंखे आमतौर पर कम बिजली बनाते हैं और इनकी एफिशिएंसी भी कम होती है इसी वजह से इनका इस्तेमाल सीमित रहा है। लेकिन इस नए एक्सपेरिमेंट ने साबित कर दिया है कि अगर इन टरबाइनों को खास पैटर्न में इस्तेमाल किया जाए तो ये बड़े-बड़े टरबाइनों जैसा आउटपुट दे सकती हैं। इसके लिए उन्होंने एक एडवांस तकनीक ‘Stereoscopic Particle Image Velocimetry’ का उपयोग किया जो 3D लेज़र की मदद से हवा की चाल और उसमें मौजूद रोटेशनल एनर्जी को ट्रैक करता है।

वैज्ञानिकों ने ये पाया कि जब एक माइक्रो टरबाइन हवा से गुजरती है तो उसके पीछे जो हवा बचती है, उसमें अब भी काफी ऊर्जा होती है, खासकर एक खास तरह की घुमावदार ताकत यानी “twist”। इस twist को पकड़ने के लिए उन्होंने एक और टरबाइन को पहले के पीछे लगाया लेकिन इस बार उसकी दिशा उल्टी रखी — यानी counter-rotating। ये पंखा उस twist को कैप्चर करता है और एक्स्ट्रा बिजली बनाता है। खास बात यह रही कि ये तरीका co-rotating टरबाइनों (जो एक ही दिशा में घूमती हैं) से बेहतर साबित हुआ।

इस स्टडी के अनुसार, यह कॉन्सेप्ट खास तौर पर उन जगहों के लिए उपयोगी है जहां बड़ी पवन टरबाइनों को लगाना संभव नहीं है जैसे सुदूर इलाके, आइसलैंड्स, IoT डिवाइस, ड्रोन चार्जिंग स्टेशन और छोटे सोलर/विंड बेस्ड पावर बैकअप। माइक्रो टरबाइनों की यह नई डिजाइन जेट इंजन जैसी multi-stage सिस्टम की तरह काम करती है, जिसमें आगे की टरबाइन पीछे की टरबाइन के लिए हवा को प्रोसेस करके भेजती है। इससे पवन ऊर्जा को और ज्यादा एफिशिएंट तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। आने वाले समय में यह तकनीक उन जगहों पर बेहद फायदेमंद होगी जहां बिजली ग्रिड नहीं है या मोबाइल पावर की जरूरत है।

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