अमेरिका की प्रमुख सोलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने भारत, इंडोनेशिया और लाओस के खिलाफ एक बड़ा कानूनी कदम उठाया है। Alliance for American Solar Manufacturing and Trade ने इन तीन देशों पर आरोप लगाया है कि वे चीन की मदद से अमेरिका में सस्ते दामों पर सोलर उत्पाद बेच रहे हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। इस संगठन में First Solar Inc., Mission Solar Energy और Qcells जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। उनका कहना है कि चीन ने इन देशों में फैक्ट्रियां खोलकर वहां से अमेरिकी बाजार में सस्ते सोलर पैनल और सेल्स भेजने शुरू किए हैं जो “अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस” के तहत आता है।

भारत से अमेरिका को सोलर एक्सपोर्ट में तेज़ बढ़त
ब्लूमबर्गNEF के डेटा के अनुसार मई 2025 में इंडोनेशिया और लाओस से अमेरिका को होने वाला सोलर सेल और मॉड्यूल एक्सपोर्ट 44% तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी महीने ये आंकड़ा सिर्फ 1.9% था। वहीं भारत से अमेरिका को सोलर एक्सपोर्ट में 2022 के मध्य से लगातार बढ़त दर्ज हो रही है। अमेरिकी कंपनियों को शक है कि यह तेजी चीन की रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह अपने सस्ते माल को अन्य एशियाई देशों के ज़रिये अमेरिका भेज रहा है ताकि डायरेक्ट टैरिफ से बचा जा सके।
जांच शुरू, भारत पर लग सकते हैं नए इम्पोर्ट टैक्स
इस पेटिशन के बाद अब अमेरिका का वाणिज्य विभाग और इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन यह जांच करेगा कि क्या भारत और बाकी दो देशों से आयातित सोलर उत्पादों की कीमतें वास्तव में सब्सिडी से कम हैं या उनकी बिक्री अमेरिकी बाजार में डंपिंग के जरिए की जा रही है। अगर यह साबित होता है कि इन उत्पादों की कीमतें असली लागत से काफी कम हैं या किसी सरकारी सहायता के कारण इतनी सस्ती हैं तो अमेरिका इन पर Anti-Dumping और Countervailing Duties लगा सकता है। इससे भारत की सोलर इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो सकता है खासकर ऐसे समय में जब भारत का सोलर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर एक्सपोर्ट पर फोकस कर रहा है।
चीन का बढ़ता असर और अमेरिका की चिंता
अमेरिका को चिंता है कि चीन अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए दक्षिण-पूर्वी एशिया में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाकर अमेरिका की क्लीन एनर्जी पॉलिसी को प्रभावित कर रहा है। पहले ही अमेरिका मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और कंबोडिया से आने वाले सोलर उत्पादों पर भारी टैक्स लगा चुका है। अब भारत, इंडोनेशिया और लाओस को भी इसी दायरे में लाया जा रहा है। इस खबर के बाद First Solar के शेयरों में 5.4% की बढ़त देखी गई जो दिखाता है कि अमेरिकी कंपनियां इस कदम से राहत महसूस कर रही हैं। हालांकि, इससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव आ सकता है और भारतीय सोलर कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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