आजकल सोलर एनर्जी का ज़माना है और भारत में इसे लेकर कुछ नया और कमाल का हो रहा है! अब खेतों में सोलर पैनल सिर्फ़ छतों या ज़मीन पर फ्लैट नहीं लगेंगे, बल्कि वर्टिकल सोलर पैनल के रूप में खड़े होकर बिजली बनाएंगे। जी हाँ, ये नई टेक्नोलॉजी किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि अब खेती के साथ-साथ बिजली भी बनाई जा सकेगी। चलिए, इस टॉपिक पर थोड़ा डिटेल्स से जानते है।

वर्टिकल सोलर पैनल क्या है?
सोचिए, आपके खेत में सोलर पैनल खड़े हैं, जैसे कोई बाड़ या दीवार। ये वर्टिकल सोलर पैनल दोनों तरफ से सूरज की रोशनी सोखकर बिजली बनाते हैं। यानी सुबह और शाम की धूप भी इनके काम आती है। ट्रेडिशनल सोलर पैनल तो ज़मीन पर फ्लैट बिछाए जाते हैं, जिससे खेती की ज़मीन का कुछ हिस्सा यूज़ नहीं हो पाता है। लेकिन वर्टिकल पैनल्स के साथ ऐसा नहीं होता है! ये खेतों में इस तरह लगते हैं कि इसके दोनों तरफ फसल भी उगाई जा सकती है।
2025 में Ashika Energy Systems ने Next2Sun Germany और Wattkraft India के साथ मिलकर भारत में इस टेक्नोलॉजी को लाने की डील साइन की है। ये डील गुजरात में हुए Re-Invest 2025 इवेंट में फाइनल हुई।
किसानों के लिए क्यों है खास?
- खेती और बिजली, दोनों मुमकिन: वर्टिकल पैनल्स को खेतों में इस तरह लगाया जाता है कि ज़मीन का ज़्यादातर हिस्सा खेती के लिए खाली रहता है। किसान अपनी फसल उगाते रह सकते हैं और साथ में सोलर पैनल से बिजली भी बना सकते हैं। ये डुअल-यूज़ टेक्नोलॉजी किसानों की इनकम को डबल करने का मौका देती है!
- ज़मीन की बचत: पहले सोलर पैनल लगाने के लिए खेती की ज़मीन का बड़ा हिस्सा चाहिए होता था, जिससे किसानों को नुकसान होता था। लेकिन अब वर्टिकल पैनल्स के साथ ये टेंशन खत्म!
- ज़्यादा बिजली प्रोडक्शन: ये पैनल्स दोनों तरफ से (बाइफेशियल) धूप सोखते हैं, जिससे सुबह और शाम को भी बिजली बनती है। यानी, ट्रेडिशनल पैनल्स की तुलना में ज़्यादा एनर्जी!
- सब्सिडी का फायदा: भारत सरकार पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल्स पर 40% तक सब्सिडी दे रही है। 3 किलोवाट तक के सिस्टम पर ये स्कीम लागू है और किसान इसका फायदा उठा सकते हैं।
कैसे काम करता है?
वर्टिकल सोलर पैनल्स को खेतों में पंक्तियों में लगाया जाता है, जैसे बाड़। ये पैनल्स सिलिकॉन सेल्स से बने होते हैं, जो सूरज की रोशनी को बिजली में बदलते हैं। इनका डिज़ाइन ऐसा है कि हवा और बारिश का असर कम होता है और ये धूल भी कम जमा करते हैं। साथ ही इन्हें मेंटेन करना आसान है। इन पैनल्स से बनी बिजली को बैटरी में स्टोर किया जा सकता है या ग्रिड में भेजकर एक्स्ट्रा कमाई की जा सकती है।
2025 में लेटेस्ट अपडेट्स
- Vikram Solar और JSW जैसे ब्रांड्स ने TOPCon सोलर पैनल्स लॉन्च किए हैं, जो हाई-एफिशिएंसी वाले हैं और वर्टिकल सेटअप के लिए भी यूज़ हो सकते हैं।
- लूम सोलर ने लिथियम-आयन बैटरीज़ पेश की हैं, जो वर्टिकल सोलर सिस्टम्स के साथ कम जगह में ज़्यादा एनर्जी स्टोर कर सकती हैं।
- भारत का टारगेट है कि 2030 तक 300 गीगावाट सोलर एनर्जी प्रोड्यूस की जाए, और वर्टिकल सोलर पैनल्स इस मिशन में बड़ा रोल प्ले कर सकते हैं।
- बारिश में भी ये पैनल्स काम करते हैं, हालाँकि उनकी एफिशिएंसी थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन बैटरी बैकअप के साथ ये रात या बादल वाले दिन भी बिजली दे सकते हैं।
लागत और फायदे
3 किलोवाट का वर्टिकल सोलर सिस्टम लगाने में करीब 1.35 लाख से 1.50 लाख रुपये का खर्च आ सकता है। लेकिन सब्सिडी के बाद ये लागत काफी कम हो जाती है। साथ ही, ये सिस्टम 25 साल तक चलता है और 3-4 साल में अपनी लागत वसूल कर लेता है। अगर आप बड़ा सोलर सिस्टम लगाते है और इसे ग्रिड से कनेक्ट करते हैं, तो एक्स्ट्रा बिजली बेचकर भी कमाई हो सकती है।
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